Site icon global dalliance news

Maratha Reservation: Manoj Jarange’s Protest Ends, Maharashtra Government’s Reliefs and Legal Challenges

Maratha Reservation

Maratha Reservation:मराठा आरक्षण आंदोलन पर मनोज जरंगे का अनशन समाप्त हुआ। महाराष्ट्र सरकार ने कुनबी प्रमाणपत्र प्रक्रिया सरल बनाने समेत कई रियायतें दीं, जबकि व्यापक आरक्षण पर कानूनी अड़चनें बनी हुई हैं। इस विस्तृत ब्लॉग में जानिए पूरा घटनाक्रम, सरकार के फैसले और आगे की चुनौतियाँ।

Maratha Reservation: Manoj Jarange’s Protest Ends, Maharashtra Government’s Reliefs and Legal Challenges

Bihar Assembly Election 2025: The Voter List Controversy and Political Strategies 2025: The Voter ListRead Here
Homevisit here
Whatsappjoin now

मराठा आरक्षण आंदोलन: एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

महाराष्ट्र के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में मराठा आरक्षण का प्रश्न हमेशा से संवेदनशील रहा है। मराठा समुदाय खुद को शैक्षणिक अवसरों और सरकारी नौकरियों में पिछड़ेपन से जोड़कर देखता है।

लंबे समय से यह मांग उठती रही है कि मराठाओं को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल किया जाए ताकि उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके। लेकिन यह रास्ता हमेशा कानूनी पेचिदगियों और सामाजिक टकरावों से भरा रहा है। हाल ही में मनोज जरंगे का अनशन इसी संघर्ष का प्रतीक बन गया, जिसने पूरे राज्य का ध्यान इस ओर खींचा।

मनोज जरंगे: आंदोलन का चेहरा

मनोज जरंगे मराठा आरक्षण आंदोलन के सबसे प्रमुख चेहरे बनकर उभरे। उन्होंने बार-बार यह दावा किया कि मराठा समुदाय के पूर्वज कुनबी थे, और ऐतिहासिक प्रमाण इस बात की पुष्टि करते हैं। जरंगे की सबसे अहम मांग यह थी कि सभी मराठाओं को कुनबी घोषित कर दिया जाए और उन्हें OBC वर्ग में व्यापक आरक्षण (blanket reservation) दिया जाए। उनका मानना था कि इससे लाखों युवाओं को शिक्षा और नौकरियों में समान अवसर मिल सकेंगे।Maratha Reservation

उनका आंदोलन केवल आरक्षण की मांग तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने मराठा कुनबी प्रमाणपत्र की प्रक्रिया सरल बनाने, आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी देने तथा प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मामलों को वापस लेने जैसी मांगें भी रखीं। Maratha Reservation

जरंगे ने यह भी स्पष्ट किया कि वे केवल उसी स्थिति में अपना अनशन तोड़ेंगे जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे व्यक्तिगत रूप से आकर उन्हें आश्वस्त करेंगे।

सरकार की स्थिति और कानूनी जटिलताएँ

महाराष्ट्र सरकार लंबे समय से इस मुद्दे को संतुलित करने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ कहा कि पूरे मराठा समुदाय को कुनबी के रूप में मान्यता देना और व्यापक आरक्षण देना संभव नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश इसके खिलाफ हैं। Maratha Reservation

आरक्षण किसी पूरे समुदाय पर नहीं बल्कि प्रमाणित पिछड़े वर्ग पर लागू होता है। इसका मतलब है कि मराठा समुदाय के व्यक्ति को कुनबी प्रमाणपत्र पाने के लिए वैध वंशावली और दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि OBC समुदाय की चिंताओं को दूर करना आवश्यक है। कई OBC संगठनों का मानना था कि मराठाओं को बिना प्रमाणपत्र आरक्षण दिया जाएगा, जिससे उनका हक मारा जाएगा।

लेकिन सरकार ने आश्वासन दिया कि ऐसा नहीं होगा। केवल उन्हीं मराठाओं को लाभ मिलेगा जो ऐतिहासिक और कानूनी प्रमाण प्रस्तुत कर सकेंगे।Maratha Reservation

सरकार द्वारा दी गई प्रमुख रियायतें

Maratha Reservation

मनोज जरंगे का अनशन खत्म करने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने कई महत्वपूर्ण रियायतें दीं। इनका मकसद मराठा कुनबी प्रमाणपत्र की प्रक्रिया को सरल बनाना और समुदाय की मांगों को व्यावहारिक रूप देना था।

1. हैदराबाद राजपत्र का क्रियान्वयन

सरकार ने एक महत्वपूर्ण सरकारी संकल्प जारी किया जिसके तहत हैदराबाद राजपत्र को लागू किया गया। यह राजपत्र मराठवाड़ा क्षेत्र के उन मराठों के अभिलेखों को मान्यता देता है जिन्हें पहले कुनबी के रूप में दर्ज किया गया था।

1948 तक यह क्षेत्र हैदराबाद राज्य का हिस्सा था और वहाँ बड़ी संख्या में मराठों को कुनबी लिखा गया था। अब ग्राम स्तर पर समितियाँ गठित होंगी जो कुनबी, मराठा कुनबी और कुनबी मराठा प्रमाणपत्र जारी करेंगी।Maratha Reservation

2. अन्य राजपत्रों का विस्तार

सरकार ने यह भी घोषणा की कि सतारा, औंध और पुणे के राजपत्रों पर भी इसी तरह का आदेश जारी किया जाएगा। हालांकि इसके लिए एक महीने का समय मांगा गया ताकि कानूनी जांच पूरी की जा सके।Maratha Reservation

3. ‘सगे सोयरे’ मुद्दे पर कदम

‘सगे सोयरे’ यानी नातेदारों से जुड़े प्रमाणपत्रों पर विवाद चल रहा था। सरकार ने कहा कि इस विषय पर अधिसूचना जारी करने में दो महीने का समय लगेगा क्योंकि लगभग आठ लाख आपत्तियों की जांच जरूरी है। जरंगे और उनकी टीम ने इस समय-सीमा को स्वीकार कर लिया।Maratha Reservation

4. आंदोलनकारियों पर दर्ज मामलों की वापसी

सरकार ने यह वादा किया कि सितंबर के अंत तक सभी आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे। यह निर्णय आंदोलनकारियों के लिए बड़ी राहत है।

5. मृतकों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी

आंदोलन के दौरान जिनकी मौत हुई, उनके परिजनों को आर्थिक मुआवजा और सरकारी नौकरी देने पर सहमति बनी। बताया गया कि अब तक 15 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं और शेष राशि जल्द ही दी जाएगी।Maratha Reservation

6. 58 लाख अभिलेखों का प्रदर्शन

जरंगे की मांग पर सरकार ने तय किया कि 58 लाख मराठों के कुनबी पृष्ठभूमि वाले अभिलेख ग्राम पंचायत कार्यालयों के बाहर चिपकाए जाएंगे। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और ग्रामीण आसानी से प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कर सकेंगे।

7. जाति वैधता प्रमाणपत्रों में तेजी

सरकार ने यह भी आश्वासन दिया कि जाति वैधता प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा। यह उन लोगों के लिए अहम है जिन्हें पहले ही कुनबी प्रमाणपत्र मिल चुका है।

अनशन की समाप्ति: समझौता और चेतावनी

राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने आजाद मैदान में मनोज जरंगे को सरकारी प्रस्ताव सौंपा और उनके हाथ से अनशन तुड़वाया। उपमुख्यमंत्री शिंदे ने इस फैसले को “ऐतिहासिक निर्णय” बताया।

हालांकि मुख्यमंत्री फडणवीस और अन्य शीर्ष नेता मौके पर मौजूद नहीं थे। इसी वजह से जरंगे ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने वादे पूरे नहीं किए तो आंदोलन फिर से तेज होगा और “मंत्रियों को स्वतंत्र रूप से घूमने नहीं दिया जाएगा।”

मुख्यमंत्री फडणवीस ने मुंबईवासियों से आंदोलन के कारण हुई असुविधा के लिए माफी भी मांगी।

आगे की चुनौतियाँ

हालाँकि यह समझौता आंदोलन को शांत करने में सफल रहा, लेकिन असली चुनौती अब इसके क्रियान्वयन की है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या सरकार समय पर और प्रभावी ढंग से सभी वादों को पूरा कर पाएगी।

मराठा और OBC दोनों समुदायों के बीच विश्वास बनाए रखना बेहद जरूरी है, वरना टकराव और असंतोष बढ़ सकता है।

आरक्षण के मामले में अदालतों के कड़े रुख को देखते हुए यह संभावना कम है कि व्यापक आरक्षण का सपना साकार हो सके। लेकिन प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार और पारदर्शिता से मराठा समुदाय को आंशिक राहत जरूर मिलेगी।

निष्कर्ष

मराठा आरक्षण आंदोलन और मनोज जरंगे का अनशन समाप्त होना महाराष्ट्र की राजनीति और समाज के लिए बड़ा मोड़ है। इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि आरक्षण केवल कानूनी या प्रशासनिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह समाज के गहरे असंतोष और आकांक्षाओं से जुड़ा प्रश्न है।Maratha Reservation

सरकार ने हैदराबाद राजपत्र लागू करने, कुनबी प्रमाणपत्र प्रक्रिया सरल बनाने, मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने और आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने जैसे ठोस कदम उठाए हैं। लेकिन व्यापक आरक्षण की कानूनी बाधाएँ अब भी बनी हुई हैं।

आगे की राह इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार अपने वादों को कितनी ईमानदारी से लागू करती है और मराठा व OBC समुदायों के बीच विश्वास कायम रख पाती है या नहीं। यदि यह संतुलन बना रहता है तो यह समझौता राज्य की सामाजिक-राजनीतिक स्थिरता में योगदान देगा। अन्यथा यह मुद्दा भविष्य में फिर से विस्फोटक रूप ले सकता है।

Exit mobile version