Afghanistan Earthquake

Afghanistan Earthquake: A Nation in Crisis and Global Humanitarian Call

Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान में आए 6.0 तीव्रता के भीषण भूकंप ने 800 से अधिक लोगों की जान ले ली और हजारों को घायल कर दिया। तालिबान ने अंतर्राष्ट्रीय मदद की अपील की है। जानें विनाश, चुनौतियाँ और वैश्विक प्रतिक्रियाएँ इस विस्तृत रिपोर्ट में।

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Afghanistan Earthquake: A Nation in Crisis and Global Humanitarian Call

परिचय

अफगानिस्तान एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। रविवार को आए 6.0 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने देश के पूर्वी प्रांतों को हिला दिया। आधी रात को जब अधिकांश लोग गहरी नींद में थे, अचानक धरती के जोरदार झटकों ने सैकड़ों परिवारों की ज़िंदगी बदल दी। अब तक 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों घायल हैं।

तालिबान प्रशासन, जो पहले से ही आर्थिक संकट और अंतर्राष्ट्रीय अलगाव से जूझ रहा है, ने वैश्विक समुदाय से तत्काल मदद की गुहार लगाई है। यह आपदा अफगानिस्तान के लिए मानवीय संकट को और गहरा कर रही है।Afghanistan Earthquake

विनाश का मंज़र: घर, जीवन और सपनों का पतन

भूकंप की भयावहता को समझना कठिन नहीं है। इसकी तीव्रता भले ही 6.0 रही, लेकिन इसका प्रभाव बेहद घातक साबित हुआ। कुनार और नंगरहार प्रांत सबसे अधिक प्रभावित हुए। खासकर कुनार में तीन गाँव पूरी तरह से मिट्टी में मिल गए। साधारण मिट्टी और पत्थरों से बने घर क्षणभर में ढह गए। रात में सोए हुए लोग मलबे में दब गए।

यह केवल मकानों का ढहना नहीं था, बल्कि जीवन की सारी यादें, उम्मीदें और सपने भी मलबे में दब गए। 22 वर्षीय जफर खान गोजार ने अपनी दर्दभरी कहानी सुनाई।

उनका भाई घायल होकर जलालाबाद लाया गया था। जफर ने कहा, “कमरे और दीवारें गिर गईं, बच्चों की मौत हो गई, बाकी घायल हो गए।” उनकी यह गवाही हजारों परिवारों की त्रासदी को दर्शाती है।Afghanistan Earthquake

इसी तरह अल-फलाह विश्वविद्यालय के छात्र जियाउल हक मोहम्मदी ने बताया कि जब वे पढ़ाई कर रहे थे, अचानक झटकों से वे गिर गए। उन्होंने कहा, “पूरी रात हमें डर था कि दूसरा भूकंप आ जाएगा।” भूकंप के बाद का यह डर लोगों की मानसिक स्थिति को झकझोरता है।Afghanistan Earthquake

अब तक कुनार में 610 और नंगरहार में 12 मौतें दर्ज की गईं। कुल मिलाकर मृतकों का आंकड़ा 812 तक पहुंच चुका है। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि जैसे-जैसे बचाव दल दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचेंगे, यह संख्या और बढ़ सकती है। कई गाँवों में शवों को सफेद कफन में लपेटकर इस्लामी परंपरा के अनुसार दफनाया जा रहा है।

मज़ार दारा गाँव पूरी तरह मिट चुका है। एक पीड़ित ने कहा, “बच्चे और बुजुर्ग मलबे में फंसे हैं। हमें तुरंत मदद चाहिए।” यह बयान इस त्रासदी की गहराई को दर्शाता है।Afghanistan Earthquake

बचाव कार्य: प्रकृति और भूगोल की चुनौती

भूकंप के बाद बचाव कार्य तुरंत शुरू हुए। स्थानीय स्वयंसेवक, सैन्य बल और सुरक्षा कर्मी पूरी रात लगे रहे। लेकिन अफगानिस्तान के पहाड़ी इलाके और खराब मौसम ने राहत कार्यों को कठिन बना दिया।

प्रभावित क्षेत्र दुर्गम घाटियों और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों में बसे हैं। बारिश ने हालात और बिगाड़ दिए। संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (UNOCHA) की अधिकारी केट कैरी ने बताया कि भारी बारिश से भूस्खलन और चट्टानों के खिसकने का खतरा बढ़ गया था। इससे सड़कें बंद हो गईं और कई गाँव पूरी तरह कट गए।

मोबाइल नेटवर्क भी ठप हो गया। बचाव दल न सिर्फ ज़िंदगियाँ बचाने में जुटे थे, बल्कि उन्हें दूषित जल और जानवरों के शवों से होने वाले संक्रमण को रोकने की चुनौती भी थी। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि सैन्य बचाव दल ने अब तक 40 उड़ानों से 420 घायल और मृतकों को बाहर निकाला है।Afghanistan Earthquake

हेलीकॉप्टरों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर लाया जा रहा है। रॉयटर्स की तस्वीरों में सुरक्षा बल और ग्रामीणों को मिलकर घायलों को एम्बुलेंस तक ले जाते देखा गया। यह दृश्य अफगान समाज की एकजुटता और सहयोग की भावना का प्रतीक है।

तालिबान की अपील: मदद की सख्त ज़रूरत

तालिबान प्रशासन ने वैश्विक समुदाय से मदद की गुहार लगाई है। काबुल में स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता शरफत ज़मान ने कहा, “हमें तत्काल अंतर्राष्ट्रीय मदद की आवश्यकता है, क्योंकि यहां बहुत से लोग अपने घर और प्रियजनों को खो चुके हैं।” यह भूकंप तालिबान के सत्ता संभालने (2021) के बाद तीसरी बड़ी आपदा है। Afghanistan Earthquake

लेकिन समस्या यह है कि विदेशी सेनाओं की वापसी के बाद अंतर्राष्ट्रीय सहायता में भारी कटौती हुई है। 2022 में अफगानिस्तान को 3.8 बिलियन डॉलर की मदद मिली थी, जबकि इस साल यह घटकर केवल 767 मिलियन डॉलर रह गई है। इसका कारण न केवल वैश्विक संकट हैं, बल्कि तालिबान की महिलाओं के प्रति नीतियां भी हैं, जिनसे दानदाताओं में नाराज़गी है। इसके चलते मानवीय सहायता भी प्रभावित हो रही है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ: कौन आया आगे

भूकंप के बाद कुछ देशों ने मदद का हाथ बढ़ाया है।
ब्रिटेन – ब्रिटेन ने 1 मिलियन पाउंड (लगभग 1.35 मिलियन डॉलर) की मदद की घोषणा की। लेकिन यह मदद सीधे तालिबान को नहीं दी जाएगी, बल्कि UNFPA और IFRC जैसे संगठनों के माध्यम से दी जाएगी। ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा, “यह आपातकालीन धन सबसे अधिक प्रभावित लोगों को स्वास्थ्य सेवा और आपूर्ति पहुंचाएगा।”
भारत – भारत ने त्वरित प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि भारत ने काबुल को 1000 टेंट दिए हैं और कुनार को 15 टन खाद्य सामग्री भेजी है। आगे और राहत सामग्री भी भेजी जाएगी।
चीन – चीन ने भी संकेत दिया है कि वह अपनी क्षमता और अफगानिस्तान की ज़रूरतों के अनुसार सहायता देगा।
अमेरिका – अमेरिका ने एक्स (X) पर संवेदनाएं व्यक्त कीं। हालांकि, अभी तक उसने कोई ठोस सहायता पैकेज की घोषणा नहीं की है। यह अमेरिका-अफगान रिश्तों की जटिलता को दर्शाता है।

मानवीय संकट और भविष्य की राह

अफगानिस्तान की स्थिति बेहद गंभीर है। लोग अस्पतालों में भीड़ लगाए हुए हैं। कई घायल बिना इलाज के पड़े हैं। दवाइयाँ और डॉक्टर कम पड़ रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में लोगों को अब भी मदद का इंतजार है। भूख, ठंड और बीमारी का खतरा बढ़ रहा है। बच्चों और बुजुर्गों की हालत सबसे नाजुक है। Afghanistan Earthquake

यह त्रासदी केवल एक भूकंप तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अफगान समाज की दशकों की असुरक्षा, गरीबी और अलगाव का प्रतिबिंब है। तालिबान की अपील और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया इस बात की परीक्षा है कि दुनिया इस संकट में कितनी संवेदनशील है।

निष्कर्ष

अफगानिस्तान इस समय गहरे संकट में है। एक ओर भूकंप ने सैकड़ों जिंदगियाँ छीन लीं, हजारों को बेघर कर दिया। दूसरी ओर आर्थिक और सामाजिक अस्थिरता पहले से मौजूद थी। तालिबान प्रशासन के सामने चुनौती है कि वह राहत कार्यों का समुचित प्रबंधन करे और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से विश्वास बहाल करे।

वहीं वैश्विक समाज के लिए यह समय है कि वह राजनीतिक मतभेदों को पीछे छोड़कर अफगान जनता की मदद करे। इस आपदा ने हमें यह याद दिलाया है कि इंसानियत किसी सीमा से परे है। अफगानिस्तान के लोगों को तत्काल चिकित्सा, भोजन, आश्रय और मानसिक समर्थन की आवश्यकता है।

यदि दुनिया समय पर सहयोग नहीं करती, तो यह त्रासदी और गहरी हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आगे आकर न केवल राहत पहुंचानी होगी, बल्कि अफगानिस्तान को पुनर्निर्माण की राह पर भी सहयोग देना होगा। यह केवल एक मानवीय कर्तव्य नहीं है, बल्कि वैश्विक एकजुटता की परीक्षा भी है।

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